रडार कैसे पकड़ लेता है जहाज?
- रडार को रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग कहते हैं। बड़े-बड़े विमानों के संचालन में यह बहुत काम आता है। यह यंत्र किसी भी एयरोप्लेन की लोकेशन, डायरेक्शन और बहुत सी जानकारी जुटाने में भी अहम भूमिका निभाता है।
- ये सिस्टम रेडियो तरंगों को सेंड और रिसीव करता है। रडार टर्म 1940 में पहली बार अमेरिकन जल सेना द्वारा उपयोग में लाया गया।
- रडार द्वारा रेडियो तरंगें भेजी जाती हैं जो वस्तु से टकराकर वापस आती हैं।
- इन तरंगों के जाने और वस्तु से टकराकर आने में जितना समय लगता है उसे कैल्क्युलेट करके उसके बारे में पता लगाया जाता है। 1886 में जर्मनी भौतिक शास्त्री हेनरिक हर्ट्ज ने यह पता लगाया कि तरंगें किसी ठोस वस्तु से टकराकर लौट सकती हैं।
- 1922 में अमेरिका की पोटोमेक नदी पर अमेरिकी नेवी रिसर्चर्स ने एक ट्रांसमीटर और रिसीवर लगाया। होयट टेलर और लियो सी युंग ने खोजा कि जो भी जहाज इनके विकिरण के रास्ते होकर गुजरते हैं। उनके सिग्नल उन्हें ट्रांसमीटर और रिसीवर में मिलने शुरू हो गए।
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