साउंड रिकॉर्डिंग कैसे होती है?
- साउंड रिकॉर्डिंग दरअसल ध्वनि तरंगों का इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और मैकेनिकल या एनालॉग अभिलेखन Inscription होता है।
- ये ध्वनि तरंगे, गायन, वादन, संवाद, स्पीच या कोई भी आवाज हो सकती हैं। साउंड रिकॉर्डिंग में एनालॉग रिकॉर्डिंग और डिजिटल प्रमुख हैं।
- माइक्रोफोन के डायफ्रॉम में जब आवाज भेजी जाती है तो ये साउंड इस डायफ्रॉम को वॉयब्रेट करती है और ये ध्वनि मैग्नेटिक टेप पर अंकित हो जाती है, ये मैग्नेटिक रिकॉर्डिंग होती है।
- एनालॉग साउंड रिप्रोडक्शन में 1940 के दौर में बड़े से फोनोग्राफ पर आवाज रिकॉर्ड होती थी, जिसे ग्रामोफोन भी कहा जाता था।
- इसकी गोल मैग्नेटिक डिस्क टैप हुआ करती थी। डिजिटल रिकॉर्डिंग में एनालॉग सिग्नल को माइक्रोफोन से डिजिटल में कन्वर्ट किया जाता है।
- 1857 में पहली रिकॉर्डिंग फोनऑटोग्राफ का पैटेंट पर्शियन इन्वेंटर एडवर्ड लिओन स्कॉट डी मार्टिन विले ने करवाया था।
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